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ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिसऑर्डर; लक्षण और उपचार - डॉ चिराग भंडारी

Dr Chirag BhandariWritten by Dr Chirag Bhandari Published On 2023-03-11T13:03:59+05:30  |  Updated On 11 March 2023 7:33 AM GMT
ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिसऑर्डर; लक्षण और उपचार - डॉ चिराग भंडारी
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प्रिमैच्योर इजैकुलेशन (शीघ्रपतन) एक आम यौन विकार है जो दुनिया भर के बहुत से लोगों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण हैं इजैकुलेशन को टालने...

प्रिमैच्योर इजैकुलेशन (शीघ्रपतन) एक आम यौन विकार है जो दुनिया भर के बहुत से लोगों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण हैं इजैकुलेशन को टालने की अक्षमता, जिसके चलते असंतुष्टि होती है और सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान हताशा अनुभव होती है। प्रिमैच्योर इजैकुलेशन दो प्रकार के होते हैं- एक आजीवन और दूसरा ऐक्वायर्ड। कुछ लोगों को जीवन भर यह समस्या बनी रहती है यानी उनके पहले सेक्सुअल इंटरकोर्स से लेकर हमेशा। तो कुछ लोगों को बाद के जीवन में यह समस्या उत्पन्न हो जाती है, उसे ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन कहते हैं। इस लेख में हम ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन विकार, इसके कारणों, लक्षणों और इलाज के विकल्पों पर बात करेंगे।

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के कारण

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या विभिन्न शारीरिक या मनोवैज्ञानिक वजहों से हो सकती है।

1. शारीरिक कारणः

  • मेडिकल स्थितिः कुछ मेडिकल स्थितियां ऐसी होती हैं जो ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन की वजह बनती हैं जैसे डायबिटीज़, हाइपरटेंशन व मूत्र मार्ग में संक्रमण। ये स्थितियां शरीर में रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता पर दुष्प्रभाव डालती हैं जिससे सेक्सुअल फंक्शल में बदलाव आ जाते हैं।
  • प्रोस्टेट की समस्याएं: प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेट ग्रंथि में इंफ्लेमेशन) या बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) जैसी स्थितियां इजैकुलेशन में बदलाव का कारण बनती हैं, जिनमें प्रिमैच्योर इजैकुलेशन भी शामिल है।
  • दवाओं के साइट इफैक्टः कुछ दवाएं सेक्सुअल फंक्शन पर असर करती हैं जिससे प्रिमैच्योर इजैकुलेशन होता है। इनमें शामिल हैं ऐंटी-डिप्रैसेंट, रक्तचाप की दवाएं और कुछ दवाएं जो प्रोस्टेट की समस्या दूर करने में इस्तेमाल होती हैं।

2. मनोवैज्ञानिक कारणः

  • चिंताः चिंता/उत्कंठा की वजह से प्रिमैच्योर इजैकुलेशन हो सकता है, इससे अत्यंत उत्तेजना की स्थिति उत्पन्न होती है और इजैकुलेशन को नियंत्रित करने की क्षमता नहीं रह पाती।
  • तनावः तनाव की वजह से शरीर पर भौतिक तनाव उत्पन्न होती है जो सेक्सुअल फंक्शन पर असर डालता है और प्रिमैच्योर इजैकुलेशन हो जाता है।
  • डिप्रैशनः डिप्रैशन से कामलिप्सा व सेक्सुअल फंक्शन में बदलाव हो सकते हैं जिससे प्रिमैच्योर इजैकुलेशन होता है।
  • संबंधों में दिक्कतः अगर आपसी रिश्ते में दिक्कतें हों जैसे बातचीत की कमी या करीबी का अभाव तो इससे चिंता व तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है जो सेक्सुअल फंक्शन पर असर करता है।

कुछ मामलों में शारीरिक व मनोवैज्ञानिक कारकों का कॉम्बिनेशन ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन में योगदान देता है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति जिसे डायबिटीज़ हो वह इस रोग के चलते सेक्सुअल फंक्शन में बदलाव अनुभव कर सकता है किंतु वह इस स्थिति से उपजे तनाव व चिंता का अनुभव भी करता है जिससे प्रिमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या और बढ़ जाती है।

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के लक्षण

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के लक्षण वैसे ही हैं जैसे आजीवन प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के लक्षण होते हैं तथा मुख्य लक्षण है इजैकुलेशन को टालने की अक्षमता, जिसके चलते सेक्सुअल इंटरकोर्स की अवधि बहुत छोटी हो जाती है।

इंटरनैशनल सोसाइटी ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन प्रिमैच्योर इजैकुलेशन को इस प्रकार परिभाषित करती है जब योनी के भीतर दो मिनट से पहले इजैकुलेट हो जाए। इसका मतलब यह है की योनी में लिंग के प्रवेश करने के बाद सेक्सुअल इंटरकोर्स दो मिनट से कम अवधि का हो। ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के मामलों में यह हो सकता है की कोई पुरुष पहले देर तक इजैकुलेशन टालने में सक्षम हो लेकिन अब वह वैसा करने में अक्षम हो गया हो।

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन के अन्य लक्षणों में सेक्सुअल परफॉरमेंस से जुड़े हताशा, चिंता व शर्मिंदगी के ऐहसास शामिल हो सकते हैं। हो सकता है कोई आदमी सेक्सुअल गतिविधि से परहेज़ करे या अपने पार्टनर को संतुष्ट कर सकने का आत्म विश्वास उसमें न हो। ये ऐहसास इस स्थिति को और बढ़ा सकते हैं और इससे परफॉरमेंस संबंधी चिंता एवं प्रिमैच्योर इजैकुलेशन का नकारात्मक चक्र शुरु हो सकता है।

गौर तलब है कि कभी-कभार प्रिमैच्योर इजैकुलेशन होना चिंता की वजह नहीं है। हालांकि, अगर प्रिमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या लगातार बनी हुई है और सेक्सुअल संबंध में तनाव या कठिनाई का कारण बन रही है तो यह ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में, मेडिकल सलाह व उपचार लेना आवश्यक है ताकी इस स्थिति के कारणों का समाधान करके सेक्सुअल फंक्शन व संतुष्टि में सुधार किया जा सके।

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन का इलाज

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या के इलाज में पहला कदम है उसकी वजह की पहचान करना और उस कारण का उपचार करना। यदि वजह शारीरिक है, जैसे प्रोस्टेट ग्रंथि में संक्रमण, तो शॉकवेव थेरपी जैसे उपयुक्त इलाज की सलाह दी जाती है। हालांकि अधिकांश मामलों में कारण मनोवैज्ञानिक होता है। आम मनोवैज्ञानिक कारक जो प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर में योगदान देते हैं उनमें शामिल हैं- चिंता, तनाव, डिप्रैशन और रिश्ते में समस्या।

ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर के मनोवैज्ञानिक कारणों का एक प्रभावी उपचार है कॉग्निटिव बिहेवियरियल थेरपी। इस किस्म की थेरपी का लक्ष्य नकारात्मक विचारों और व्यवहार के पैटर्न को बदलना है जो प्रिमैच्योर इजैकुलेशन में योगदान देते हैं। कॉग्निटिव बिहेवियरियल थेरपी के माध्यम से व्यक्ति सेक्सुअल गतिविधि के दौरान चिंता व तनाव को संभालने की रणनीतियां व तकनीकें सीख सकता है।

काउंसलिंग भी ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर का प्रभावी इलाज हो सकता है, खासकर तब जब संबंधों में मौजूद दिक्कतें इस स्थिति में योगदान दे रही हों। एक प्रशिक्षित थेरपिस्ट व्यक्ति की मदद कर सकता है की वह रिश्ते की समस्या को पहचाने व उसका समाधान करे जो की सेक्सुअल गतिविधि के दौरान तनाव या चिंता का कारण बन रही हो। काउंसलिंग के जरिए व्यक्ति प्रभावी सम्प्रेषण कौशल विकसित कर सकता है और सीख सकता है की सेहतमंद व प्रोडक्टिव तरीके से सेक्सुअल चिंताओं का कैसे समाधान किया जाए।

रिलेक्सेशन तकनीक जैसे गहन श्वास का व्यायाम और प्रोग्रैसिव मसल रिलेक्सेशन भी ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर को मैनेज करने में असरदार हो सकता है। ये तकनीकें सेक्सुअल गतिविधि के दौरान चिंता घटाने व शांति व रिलेक्सेशन की भावना को बढ़ावा देने में सहायक है। चिंता और तनाव का ऐहसास घटने से व्यक्ति इजैकुलेशन को टालने में सक्षम हो सकता है और उसकी समग्र सेक्सुअल संतुष्टि बेहतर हो सकती है। थेरपी और रिलेक्सेशन तकनीक के अतिरिक्त ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर का इलाज दवाओं से भी किया जा सकता है। सेलेक्टिव सेरोटोनिन रिअपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) को आम तौर पर इजैकुलेशन को टालने के लिए प्रैस्क्राइब किया जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना अहम है की इन दवाओं के साइड इफैक्ट होते हैं और इनका सेवन विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।

“स्क्वीज़ टेक्नीक” एक अन्य तरीका है जो इजैकुलेशन को टालने व सेक्सुअल सुख को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जब सेक्सुअल गतिविधि के दौरान पुरुष को इजैकुलेट करने की प्रबल इच्छा होती है तो उसका पार्टनर लिंग के सिरे को दबाए जब तक की इजैकुलेट करने की इच्छा खत्म न हो जाए। पूरी सेक्सुअल गतिविधि में इस तरीके को दोहराया जाए ताकी इजैकुलेशन को देर तक टाला जाए।

सारांश

बहुत से पुरुषों में ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर का उपचार मुमकिन है। इसके पीछे छुपी वजह की पहचान और फिर इलाज ही सफल उपचार की कुंजी है। हालांकि दवाएं और अन्य तकनीकें मदद कर सकती हैं किंतु कोई भी इलाज शुरु करने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। सही उपचार के बाद ऐक्वायर्ड प्रिमैच्योर इजैकुलेशन डिस्ऑर्डर से परेशान पुरुष संतुष्टिदायक सैक्स लाइफ का आनंद ले सकते हैं और अपने समग्र जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।

Disclaimer: The views expressed in this article are of the author and not of Medical Dialogues. The Editorial/Content team of Medical Dialogues has not contributed to the writing/editing/packaging of this article.

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Dr Chirag Bhandari
Dr Chirag Bhandari

    Dr Chirag Bhandari, MBBS, MS(Andrology), FECSM(Fellow of The European Committee of Sexual Medicine) is the founder of IASH(Institute of Andrology & Sexual Health). He is also a director at Bhandari Hospital And Research Centre, Jaipur. He has more than 8 years of experience as a professional sexology practitioner. His areas of focus in Andrology are Erectile Dysfunction, Penile Prosthesis Implantation, Peyronie’s Disease, Male Factor Infertility, Microsurgery, Penile Rejuvenation, Premature Ejaculation, and Penis Enlargements.

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